Baba Sahab Ka Photo Download

Uri Alon, An Introduction to Systems Biology: Design Principles of Biological Circuits, Chapman & Hall/CRC, London, ISBN, GBP 30.99, 2007 (320 pp.) Article (PDF Available) October. An introduction to systems biology pdf uri alon deep.

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बाबासाहब के कारवाँ का अन्तिम पड़ाव क्या है? बाबासाहब के कारवां का गंतव्य स्थान है – देश में धम्म का शासन, देश को बुद्धमय करना, अर्थात हमें एक ऐसे भारत का निर्माण करना है जो भ्रष्टाचारमुक्त हो, अपराधमुक्त हो, आतंकवादमुक्त हो, गरीबीमुक्त हो. हमें ऐसा भारत बनाना है जहाँ सभी लोग स्वस्थ हों, शक्तिशाली हों, प्रबुद्ध हों, खुश हों, सुखी हों, सम्पन्न हों, न्यायप्रिय हों, जहाँ जातिवाद न हो, असमानता न हो, अन्धविश्वास न हो, कुरीतियों न हो, आडम्बर न हो, अज्ञानता न हो, भेदभाव न हो, जहां लोगों में एकता, बन्धुत्व, समानता, ईमानदारी और आपसी प्रेम होलाला बौद्ध SAMAYBUDDHA's Dhamm Deshna. बाबासाहब का कारवाँ ग्रुप में अधिकांश मित्रों की सक्रियता और बहुत अच्छे-अच्छे ज्ञानवर्धक, प्रेरणादायक संदेशों का आदान-प्रदान इस बात का द्योतक हैं कि हम लोग बहुत शीघ्र बाबासाहब के काँरवा को गंतव्य स्थान तक पहुंचाने में सफल होंगे. बाबासाहब के कारवाँ का अन्तिम पड़ाव क्या है?

बाबासाहब के कारवां का गंतव्य स्थान है – देश में धम्म का शासन, देश को बुद्धमय करना, अर्थात हमें एक ऐसे भारत का निर्माण करना है जो भ्रष्टाचारमुक्त हो, अपराधमुक्त हो, आतंकवादमुक्त हो, गरीबीमुक्त हो. हमें ऐसा भारत बनाना है जहाँ सभी लोग स्वस्थ हों, शक्तिशाली हों, प्रबुद्ध हों, खुश हों, सुखी हों, सम्पन्न हों, न्यायप्रिय हों, जहाँ जातिवाद न हो, असमानता न हो, अन्धविश्वास न हो, कुरीतियों न हो, आडम्बर न हो, अज्ञानता न हो, भेदभाव न हो, जहां लोगों में एकता, बन्धुत्व, समानता, ईमानदारी और आपसी प्रेम हो. हमारे देश की समस्त समस्यों का मूल कारण ब्राह्मणवाद है. ब्राह्मणवाद को देश में सत्ता के बल पर लाया गया था, अतः सत्ता के बल से ही इसे नेस्तनाबूत (कब्र के अन्दर दफन करना) किया जा सकता है. सत्ता प्राप्त करने के लिये के दो रास्ते हैं.

पहला- खूनी क्रान्ति, दूसरा- वोट (लोकसभा एवं विधान सभा के चुनाव में सम्यक प्रत्याशी को वोट करके विजयी बनाना). सत्ता हम खूनी क्रान्ति से प्राप्त करें या सम्यक प्रत्याशी को वोट देकर?

तथागत बुद्ध और बाबासाहब के वंशज होने के नाते सत्ता प्राप्ति के लिये हम हिंसक क्रान्ति का रास्ता नहीं अपना सकते. हालांकि हमारा दुश्मन ब्राह्मणवादी सवर्ण और उसके तथाकथित भगवानों (ब्रह्मा, विष्णु, शंकर, राम, परशुराम, गणेश, दुर्गा आदि-आदि) ने नाना प्रकार के हथियारों से हमारे पूर्वजों (असुर, राक्षस, दानव) की हत्या की, आज भी उन्हीं हथियारों से लैस हमारा खात्मा करने के लिये खड़े हैं. लेकिन फिर भी सत्ता प्राप्ति के लिये हमारा पहला प्रयास बुद्ध का अहिंसक रास्ता ही होगा. कथित आजादी की प्राप्ति के बाद से अब तक सत्ता अल्पसंख्यक ब्राह्मणवादियों और पूंजीपतियों की रही है, और आज भी है.

हम अपना लक्ष्य तभी प्राप्त कर सकते हैं, जब केन्द्र में हमारी पूर्ण बहुमत-प्राप्त सत्ता होगी. सत्ता को हम अभेद्य एकता और मजबूत संगठन के बिना प्राप्त नहीं कर सकते. कथित सवर्ण ब्राह्मण, बनियां, ठाकुर भारत में अल्पसंख्यक है. देश में इनकी आबादी मात्र 15% है. देश में शेष 85% अवर्ण कौन हैं? देश के 85% अवर्ण ‘बहुजन’ हैं, जिसमें देश के SC, ST, OBC, बौद्ध, ईसाई, मुसलमान लोग समाहित हैं. लोकतांत्रिक देश में अल्पसंख्क लोगों की सरकार है.

Saheb

बहुसंख्यक बहुजन हासिये पर हैं. बहुसंख्यकों पर अल्पसंख्सकों का शासन स्थापित है. ये विश्व का आठवाँ अजूबा है. ये दुनियां का नायाब अजूबा है. देश में लोकतंत्र है लेकिन जाल ब्राह्मणतंत्र का फैला हुआ है. देश के कायदे-कानून हैं, लेकिन यहां के शंकराचार्य और पुरोहित खुलेआम कहते हैं, “मेरा नाम फलांफलां शर्मा शास्त्री है, मैं अमुक विद्यापीठ का अध्यक्ष हूं, शास्त्रों को मानने वाला और कट्टर ब्राह्मण होने के नाते मैं छुआछूत मानता हूँ.